अधिकांश लोगों को दिन में खाने के बाद थोड़ी नींद आती है इसलिए वो 15-20 मिनट की झपकी ले लेते हैं। लेकिन, कुछ लोगों को दिन में ज्यादा नींद आती है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो यह डिमेंशिया का संकेत हो सकता है।
हाल ही में 2024 में न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में सामने आया है कि दिन में ज्यादा नींद आना और किसी भी काम के लिए ख़ुद को उत्साहित महसूस नहीं कर पाने से मोटरिक कॉग्निटिव रिस्क हो सकता है जो आगे जाकर डिमेंशिया का रूप ले सकता है। इसमें याददाश्त धीरे-धीरे कम होने लगती है।
जिन लोगों को दिन में ज्यादा नींद आती है उनके शरीर में बीटा-एमिलॉयड नाम का प्रोटीन अधिक मिला, जो प्लाक बनाने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा इन लोगों में प्लेक होने का जोखिम करीब तीन गुना ज्यादा है।
दुनिया भर में 55 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। हर 3 सेकंड में डिमेंशिया एक नया मामला विकसित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह मृत्यु का सातवां प्रमुख कारण है।
डिमेंशिया के लक्षण
- मेमोरी लॉस यानी चीज़ें भूल जाना
- दैनिक कार्यों को ठीक से कर पाने में कठिनाई
- ठीक से सोच नहीं पाना
- भटक जाना
- समस्याओं को सुलझाने में कठिनाई
- व्यक्तित्व में परिवर्तन
- किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना
- मूड या व्यवहार का बदलना
- डिमेंशिया के कारण
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डिमेंशिया के कारण
डिमेंशिया की समस्या मस्तिष्क में नसों के खराब होने या उन तक रक्त की आपूर्ति न होने पर होती है। इसके लिए ज़िम्मेदार कुछ कारण हैं-
अल्जाइमर रोग
यह डिमेंशिया का कारण भी है और लक्षण भी है। इसमें दिमाग की कोशिकाओं के बीच-बीच में असामान्य प्रोटीन जम जाता है, जिससे व्यक्ति को चीजों को याद रखने में दिक्कत आती है।
दिमाग की धमनियों में रुकावट
कई बार छोटे-छोटे स्ट्रोक की वजह से दिमाग तक ब्लड फ्लो कम हो सकता है। इससे ब्रेन सेल्स को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है, इस वजह से वो कमजोर हो जाती है और भविष्य में डिमेंशिया का कारण बन सकती है।
सिर में चोट लगना या ट्यूमर
सिर पर चोट या ट्यूमर की वजह से भी डिमेंशिया की समस्या हो सकती है। अगर सिर में चोट लगे तो
डिमेंशिया से बचाव के तरीक़े
वेट कंट्रोल
वजन ज्यादा होने की वजह से ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है। ये दोनों ही डिमेंशिया से संबंधित हैं। इसलिए वजन पर नियंत्रण रखना ज़रूरी है। जंक फ़ूड खाने से बचें। ज्यादा देर तक बैठकर काम करने से बचें।
एक्सरसाइज करें
सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हर दिन आधा घंटे की एक्सरसाइज ज़रूरी है। ब्रिस्क वॉकिंग, साइकलिंग या डांसिंग जैसी गतिविधियां करने की कोशिश करें।
तनावमुक्त रहें
आजकल वर्क प्रेशर और कई निजी कारणों के चलते अधिकांश लोग स्ट्रेस का सामना कर रहे हैं। स्ट्रेस और डिप्रेशन से डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए तनाव से बिलकुल दूर रहने की कोशिश करें। ऐसे काम करें जिनमें आपको ख़ुशी महसूस हो।
हेल्थी डाइट
हमारे ख़ान-पान का हमारी हेल्थ पर बहुत असर पड़ता है। बैलेंस्ड डाइट लेने से शरीर में सभी ज़रूरी पोषक तत्व पहुँचते रहते है। डिमेंशिया और दूसरी दिमाग़ी बीमारियों से बचने के लिए प्रोटीन, फ़ाइबर और विटामिन वाली डाइट लें।
रात की पर्याप्त नींद
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि अगर आप सोचते हैं कि आप अपनी रात की नींद की भरपाई दिन में कर सकते हैं, तो यह सोच गलत है। डॉ. सुधीर कहते हैं कि दिन की नींद शरीर की घड़ी के अनुरूप नहीं होती है और इससे सिर्फ़ डिमेंशिया ही नहीं दूसरी मानसिक समस्याएँ भी हो सकती हैं। दिन की नींद उतनी गहरी नहीं होती है, क्योंकि यह सर्कैडियन क्लॉक के साथ मैच नहीं करती है और इसलिए नींद के होमियोस्टैटिक फंक्शन को नहीं कर पाती है।
रात में काम करने से बचें
नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में तनाव, मोटापा, कॉग्नेटिव डेफिशिट और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के ख़तरे ज्यादा दिखते हैं। दरअसल, ग्लाइम्फैटिक सिस्टम नींद के दौरान सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। यह हमारे दिमाग़ से प्रोटीन वेस्ट प्रोडक्ट्स को साफ करने का काम करता है। ऐसे में नींद की कमी होने से ग्लाइम्फैटिक सिस्टम फेलियर का सामना करता है और इसी वजह से डिमेंशिया का ख़तरा बढ़ जाता है।
अभी तक कोई इलाज नहीं
अल्ज़ाइमर को रोकने के लिए फिलहाल कोई उपाय नहीं है। इससे बचाव ही बेहतर है। इसके लिए ज़रूरी है आप रात को अपनी नींद पूरी करें। अध्ययन के बाद पाया गया कि जिन लोगों में अल्ज़ाइमर का पता चला, उन्हें नींद न आने की बीमारी भी थी।