लंबे समय तक बैठे रहने, एक्टिविटी कम होने और थोड़ी-थोड़ी देर में खाने की वजह से शरीर में फैट जमा होने लगता है और इस फैट की वजह से कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और हृदय की गंभीर बीमारियां होने लगती हैं। इसके लिए लोग जिम, डाइट यहाँ तक कि दवाइयों का भी सहारा लेते हैं। लेकिन, अगर आप बिना किसी मेहनत के इन सभी बीमारियों से बचना चाहते हैं तो बस इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग शुरू कर दें। इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग की आदत डाल लेने के बाद आप बहुत जल्द ही ख़ुद को एकदम फिट पायेंगे।
क्या है इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग
इंटरमिटेंट फास्टिंग में यह तय किया जाता है कि खाना कब खाना है। इसमें बार-बार खाने की आदत पर नियंत्रण करना होता है। कम से कम 10-12 घंटे की फ़ास्टिंग ज़रूरी है। यानी कि अगर आप रात आठ बजे खाना खाते हैं तो सुबह आठ बजे के पहले कुछ भी नहीं खायें। फिर आठ घंटे में आप खा सकते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे फ़ास्टिंग को 16 घंटे करें।
इंदौर के जाने-माने कैंसर सर्जन डॉक्टर अरुण अग्रवाल के अनुसार इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग आज के समय में लंबे समय तक जीने और स्वस्थ रहने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी चीज़ है। इससे वेट लॉस, फैटी लिवर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां तो ठीक होती ही हैं, यह डायबिटीज, हार्ट स्ट्रोक में भी काफ़ी लाभदायक है। यहाँ तक कि यह 14 तरह के कैंसर से भी बचाव करता है। डॉ अग्रवाल कहते हैं कि लोगों को पहले 10 घंटे की इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग शुरू करना चाहिये फिर इस समय को धीरे-धीरे बढ़ाकर 16-18 घंटे तक ले जा सकते हैं। हालाँकि, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बढ़ते बच्चों को इससे बचना चाहिए।
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग के फ़ायदे
वेटलॉस में मददगार

अगर आप बढ़ते वजन बेली फैट, थाई फैट से परेशान हैं तो इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके लिये रामवाण औषधि का काम कर सकता है। लंबे समय तक भोजन के बिना रहने से शरीर में कैलोरी स्टोरज से बचा जा सकता है। इससे शरीर अतिरिक्त चर्बी धीरे-धीरे कम होने लगती है और कुछ ही समय में आप वेट लॉस करके एकदम स्लिम और फिट हो जाते हैं।
डायबिटीज वालों के लिए वरदान

कई अध्यानों में सामने आया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। इससे एकदम से ब्लड शुगर स्पाइक नहीं होता है। ख़ासतौर पर टाइप 2 डायबिटीज के मरीज़ों के लिए यह बहुत फ़ायदेमंद है। इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम में भी सुधार होता है।
हृदय रोगों के खतरे को करे कम

आजकल अधिकांश युवा कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने और उसके कारण हार्ट की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को नियंत्रित करता है। दरअसल, फास्टिंग को फॉलो करने से खानपान की आदतों में सुधार आने लगता है। हृदय इससे संबधी समस्याएं कम हो जाती है और शरीर एक्टिव रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए

इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इससे स्ट्रेस, एंजाइटी, माइग्रेन, डिप्रेशन, अल्ज़ाइमर जैसी मानसिक बीमारियों को भी कम करता है।
कैंसर से बचाव

इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग से कैंसर तक से बचा जा सकता है। दरअसल, जब आप 16-18 घंटे की फ़ास्टिंग करते हैं और शरीर को भोजन नहीं मिलता है तो बॉडी कैंसर सेल को खाने लगती है इससे कैंसर कोशिकाएँ धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग के दौरान जब आप 8-10 या 12 घंटे की ईटिंग विंडो रखते हैं तो इस दौरान ऐसा नहीं सोचें कि आप कुछ भी खा सकते हैं। इस बीच भी फ़ास्ट फ़ूड, अल्ट्राप्रोसेस्ड फ़ूड, मिठाइयाँ और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से बचना है। ऐसा फ़ूड लें जिसमें फ़ाइबर की मात्रा ज्यादा हो। प्रोटीन की मात्रा अच्छी लें जिससे मसल ग्रोथ कम नहीं हो।
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