National Epilepsy Day: सही दवाइयों, डाइट और मैडिटेशन से मिर्गी को कर सकते हैं मैनेज

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National Epilepsy Day: एपिलेप्सी या मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति के दिमाग की इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों में अचानक बदलाव आते हैं। इस वजह से उसका व्यवहार असामनाय हो जाता है और उसको मिर्गी के दौरे आने लगते हैं। इनसे शरीर के अलग-अलग हिस्से अस्थायी रूप से प्रभावित होते हैं। आंकड़ों की बात करें तो इस समय पूरे विश्व में 5 करोड़ से भी अधिक लोग इसका सामना कर रहे हैं।हालाँकि, लोग इस मेडिकल कंडीशन के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं और इसको पागलपन समझने लगते हैं। इसी वजह से लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है।

Epilepsy is a brain disorder

एपिलेप्सी के लक्षण

पूरे शरीर या किसी हिस्से में जकड़न, मुंह से झाग निकलना जैसे लक्षण मिर्गी की और इशारा करते हैं। कई बार इस वजह से व्यक्ति व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है। वैसे इसके लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग हो सकते हैं। हालांकि, इसके कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं-

  • शरीर का कोई भाग या कभी-कभी पूरा शरीर अचानक जकड़ सकता है।
  • व्यक्ति को हाथ-पैर में अनियंत्रित झटके लग सकते हैं।
  • सुनने या दिखने में कठिनाई होना।
  • व्यक्ति इस दौरान भ्रम की स्थिति में रह सकता है।
  • मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति को मसल्स में कमोज़ोरी लगती है।
  • दांत अकड़ना और मुँह से झाग निकलना।
  • एक-तक देखते रहना।
  • खड़े-खड़े गिर जाना।
  • कभी-कभी व्यक्ति बेहोश हो जाता है।

एपिलेप्सी के कारण

यह दिमाग की बीमारी है और यह किसी भी उम्र में हो सकती है। वैसे बच्चों में 10 साल के पहले इसके होने की संभावना ज्यादा होती है। सामान्यतः मिर्गी इन कारणों से हो सकती है-

  • बच्चों का दिमाग का विकास सही तरह से नहीं हो पाना
  • सिर पर गहरी चोट लगना
  • दिमागी बुखार
  • ब्रेन में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होना
  • जेनेटिक
  • ब्रेन ट्यूमर
  • पोषक तत्वों की कमी। भोजन में विटामिन डी,ई और विटामिन बी 6 की कमी होने से इसके लक्षण आ सकते हैं।

समय पर इलाज ज़रूरी

मिर्गी के लक्षण को दिखने पर तुरंत इसका इलाज होना ज़रूरी है। जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर से परामर्श लें। सही दवाइयों से इसको मैनेज किया जा सकता है। यह संक्रामक बीमारी नहीं है। और न ही यह मानसिक कमजोरी के कारण होती है लेकिन, एपिलेप्सी से पीड़ित व्यक्ति से लोग बचने की कोशिश करते हैं और इस कारण इनमें हीन भावना आने लगती है। जबकि इन्हें भावनात्मक सहारे की बहुत जरूरत होती है जिसे वो मानसिक रूप से कमजोर न पढ़ें।

डाइट

इस बीमारी से बचने के लिए सही डाइट लेना भी ज़रूरी है। इनमें ड्राई फ्रूट्स, दालें, सब्ज़ियां, फल आदि को अपने भोजन का हिस्सा बनायें। इसके अलावा इन चीज़ों को ज़रूर लें-

अंडे और मछली:  एपिलेप्सी से बचने के लिए डाइट में अंडा और मछली ज़रूर शामिल करें। ब्रेन हेल्थ के लिए जरूरी चीज़ों में ओमेगा-3 फैटी एसिड सबसे प्रमुख है।यह मिर्गी के दौरे को कम करने में सहायक होता है। अंडे और मछली के अलावा चिया सीड्स और अखरोट में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है।

मैग्नीशियम-रिच फ़ूड: मैग्नीशियम नर्व ट्रांसमिशन और मांसपेशियों के सिकुड़ने को नियंत्रित करता है। इसलिए मिर्गी से बचने के लिए अपने आहार में ऐसी चीज़ें शामिल करें जिनमे मैग्नीशियम उपस्थित हो। पालक, नट्स, बीज और दालें मैग्निशियम के अच्छे स्रोत हैं।

विटामिन बी6: यह विटामिन सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमिटर्स के बनने में सहायता करता है। यह मिर्गी के मरीज़ों के लिए लाभदायक है। इसे केले, चने और आलू से प्राप्त किया जा सकता है।

खट्टे फल: खट्टे फलों में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। यह विटामिन दिमाग की कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं। इसलिए अपनी डाइट का हिस्सा इन्हें ज़रूर बनायें।

मैडिटेशन करें

मिर्गी से बचने के लिए योग और मैडिटेशन ज़रूर करें। योग करने से तनाव कम होता है और दिमाग़ को आराम मिलता है।

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