COPD: मौसम बदलने के साथ सर्दी-खांसी जैसा वायरल इंफेक्शन होना बहुत आम है। जैसे ही हल्का सा मौसम बदलने लगता है, वैसे ही शरीर पर इसका रिएक्शन होना शुरू हो जाता है और नतीजा ये होता है कि सर्दी या खांसी हो जाती है। वैसे तो ये बहुत ही कॉमन समस्या है, जो थोड़े समय के बाद ही खत्म हो जाती है। हालांकि, लंबे समय से सर्दी-खांसी का बने रहना गंभीर रोग होने का इशारा करता है। जी हां, अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक सर्दी-खांसी की समस्या बनी हुई है, तो यह लंग इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।
क्या है क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)?
बता दें कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दुनिया भर में हार्ट प्रॉब्लम्स और कैंसर के बाद तीसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है। बहुत से लोग सांस फूलने और खांसी को उम्र के साथ बढ़ने वाला रोग मान लेते हैं, लेकिन यह बिल्कुल भी नॉर्मल नहीं होता है। डॉक्टर्स का कहना है कि बीमारी के शुरुआती चरणों में लक्षण नजर नहीं आते हैं और सीओपीडी की समस्या सांस फूलने की तकलीफ के बिना भी सालों तक विकसित हो सकती है।

दरअसल, इसके लक्षण बीमारी के काफी बढ़ जाने के बाद दिखाई देते हैं, क्योंकि सीओपीडी हल्के से लेकर सीरियस लंग्स इंफेक्शन होता है, जो लगातार बढ़ता जाता है। भारत की बात करें, तो इस रोग से देशभर के लगभग 63 मिलियन लोग प्रभावित हैं, जो दुनिया की सीओपीडी आबादी का लगभग 32 प्रतिशत है। .
एड्स, टीबी से भी ज्यादा खतरनाक है COPD
वहीं, सीनियर डॉक्टर्स के मुताबिक, यह रोग इतना खतरनाक है कि सीओपीडी के कारण एड्स, टीबी, मलेरिया और मधुमेह से भी अधिक मौतें होती हैं। पुरुषों में सीओपीडी की व्यापकता दर 22 प्रतिशत और महिलाओं में 19 प्रतिशत तक है। सीओपीडी एक लाइलाज और प्रगतिशील बीमारी है, जो फेफड़ों में वायुमार्ग को फुला देती है और हवा की थैलियों को नष्ट कर देती है। सीओपीडी के संबे समय तक चलने वाले प्रभाव की वजह से हृदय का दाहिना भाग बढ़ जाता है।

बता दें कि इस समस्या के अधिकांश मामलों के लिए धूम्रपान जिम्मेदार है, इसके बाद बाहरी और इनडोर प्रदूषण के कारण सीओपीडी के 21 प्रतिशत मामले सामने आते हैं। जबकि गैसों और धुएं के व्यावसायिक जोखिम के कारण 16 प्रतिशत मामले सामने आए हैं।
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