फैटी लिवर क्या है, जाने लक्षण, कारण और बचने के तरीक़े: Fatty Liver

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Fatty Liver: खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से फैटी लिवर भी एक है। यह वह स्थिति होती है, जब लिवर में बहुत ज्यादा फैट इकट्ठा हो जाता है। इससे लिवर में सूजन आने लगती है और लिवर सही से काम नहीं कर पाता है। इस समस्या से भारत में करीब 20% से 40% लोग प्रभावित है। वैसे, तो इसका कोई खास कारण नहीं है, लेकिन बहुत ज्यादा कैलोरी लेने से लिवर में फैट जमा हो सकता है।

इस आर्टिकल में हम आपको फैटी लिवर के कारण, लक्षण और निदान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए जानना जरूरी हो सकता है। तो आइए बताते हैं।

फैटी लिवर बीमारी के कारण

जो व्यक्ति मोटापा, डायबिटीज या हाई ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित है, तो उनमें फैटी लिवर विकसित होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, अगर लोग इन समस्याओं से परेशान नहीं हैं, तो भी उनमें फैटी लिवर विकसित हो जाता है। कुछ लोगों को अचानक से ये समस्या हो सकती है। दरअसल, जब लिवर फैट को संसाधित नहीं कर पाता है, तो फैट इकट्ठा होने लगता है। इससे फैटी लिवर की समस्या विकसित हो जाती है। इसके अलावा, जो लोग शराब पीते हैं, इनमें यह समस्या तेजी से हो सकती है। इसके अलावा, फैटी लिवर के निम्न कारक हो सकते है-

  • अधिक वज़न/मोटापा।
  • टाइप 2 डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस।
  • मेटाबॉलिक सिंड्रोम (इंसुलिन प्रतिरोध, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ट्राइग्लिसराइड)।
  • कुछ दवाएँ या स्टेरॉयड

फैटी लिवर डिसीज़ के लक्षण

वैसे, तो फैटी लिवर की बीमारी का पता नहीं चलता है, लेकिन लिवर की खराब स्थिति में ब्लड टेस्ट में पाए जाने वाले लिवर एंजाइम का लेवल हाई हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों का लिवर डैमेज होता है, उनका लिवर एंजाइम का लेवल हाई होगा। इसके विकास के चार चरण होते हैं-

  • साधारण फैटी लिवर: लिवर बहुत अधिक फैट जमा करता है, जो खराब नहीं होता है.
  • स्टीटोहेपेटाइटिस: अतिरिक्त फैट के अलावा, लिवर में सूजन हो जाती है।
  • फाइब्रोसिस: लिवर में पुरानी सूजन के कारण निशान पड़ जाते हैं.
  • सिरोसिस: लिवर की कार्य करने की क्षमता कम होने लगती है, जो गंभीर स्थिति होती है

फैटी लिवर का इलाज

फैटी लिवर की समस्या का पता चलने के बाद तुरंत इलाज शुरू करा लेना चाहिए। इसके अलावा, कुछ और उपाय भी किए जा सकते हैं-

  • फलों, सब्ज़ियों और होल ग्रेन का सेवन करें
  • नमक और चीनी का सेवन सीमित करें
  • न्यूमोकोकल डिसीज़, फ्लू, और हेपेटाइटिस A, और B के खिलाफ टीकाकरण करवाएं
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, ये वजन कम करने में मदद करेंगे।
  • शराब पीना बंद करना।
  • हेपेटाइटिस C या B का इलाज कराएं
  • धूम्रपान बंद करें।
  • अपने ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें, अपने कोलेस्ट्रॉल को मैनेज करें, वजन को हेल्दी बनाए रखे।
  • खाना कम से कम खायें जिससे ज्यादा फैट जमा नहीं हो सके।

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