अभिषेक बच्चन भी बचपन में इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहे थे: Abhishek Bachchan Dyslexia

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Abhishek Bachchan Dyslexia: जब से बॉलीवुड एक्टर आमिर खान ने अपने बेटे जुनैद खान और अभिनेता अभिनेष बच्चन ने डिस्लेक्सिया बीमारी से ग्रस्त होने का खुलासा किया है, तब से इस बीमारी ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। दरअसल, यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें पीड़ित को पढ़ने और लिखने में समस्या होती है। इसके साथ ही बोलने में भी थोड़ी समस्या होती है। दुनियाभर के 5-10% लोगों पर असर होने का अनुमान है। यह स्थिति बच्चों ही नहीं बड़ों में भी देखी जाती है।

डिस्लेक्सिया में भले ही लोगों की पढ़ने और सीखने की क्षमता को प्रभावित करती है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि ऐसे लोग दूसरों से कम होते हैं। बल्कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित कई लोग काफी क्रिएटिव हो सकते हैं और उनमें किसी भी प्रॉब्लम को हल करने की स्किल हो सकती है। बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन ने हाल ही में बताया कि 9 साल की उम्र में वो डिस्लेक्सिया से जूझ रहे थे। अभिषेक बच्चन पढ़ाई में काफी कमजोर थे। अभिषेक की तरह ही कई ऐसे लोग हैं जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं लेकिन, वो किसी ना किसी क्षेत्र में काफ़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इलाज, थेरेपी और दवाओं के जरिए डिस्लेक्सिया पर जीत पायी जा सकती है।

इस आर्टिकल में हम इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे, ताकि इससे पीड़ित लोगों को निजात मिल सके। तो आइए जानते हैं-

डिस्लेक्सिया के मुख्य लक्षण:

  • परिचित होने के बावजूद शब्दों को पढ़ने और समझने में कठिनाई
  • शब्दों को लिखने में परेशानी, जिसमें सरल शब्दों की बार-बार गलत वर्तनी शामिल है
  • धीमी गति से पढ़ने और समझने की क्षमता
  • लिखते समय विचारों को व्यवस्थित करने में कठिनाई
  • शब्दों के उच्चारण में गलतियां
  • अक्षरों और शब्दों को पहचानने में कठिनाई।
  • निर्देशों का पालन करने में कठिनाई।
  • शब्दों की तुकबंदी में समस्या।
  • पढ़ने और लिखने में धीमी प्रगति।
  • खराब वर्तनी और व्याकरण कौशल।
  • जोर से पढ़ने में कठिनाई।
  • टाइम मैनेजमेंट में दिक्कत
  • पढ़ने या लिखने से जुड़े कार्यों से बचना।

पढ़ाई-लिखाई के अलावा, डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर कम आत्मसम्मान, चिंता और हताशा का अनुभव करते हैं, जो उनके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है।

डिस्लेक्सिया के कारण

वैसे तो इस समस्या के कुछ खास कारण नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आनुवांशिक हो सकता है, जो अपने माता-पिता से बच्चों को हो सकता है। डिस्लेक्सिया कुछ जीन से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। बाएं पेरिसिलवियन कॉर्टेक्स का बढ़ा हुआ माइलिनेशन अक्सर डिस्लेक्सिया के साथ देखा जाता है।

डिस्लेक्सिया का इलाज

आजकल डिस्लेक्सिया के बारे में लोगों का काफी जानकारी है। आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में इस विषय को बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया था, जिसकी वजह से लोगों को इसके बारे में पता लग पाया। हालांकि, रियल लाइफ में भी लोगों का ध्यान इसकी तरफ गया है, जिसके लिए कुछ उपाय भी किए गए हैं।

हालांकि डिस्लेक्सिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन सही रणनीतियों और सहायता से इसे मैनेज किया जा सकता है। शुरुआती इलाज और स्कूल में टीचर्स के सपोर्ट से इस तरह की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इसके अलावा, कई और उपाय भी किए जा सकते हैं, जो निम्न प्रकार हैं-

स्पेशल रीडिंग प्रोग्राम: ध्वनि और शब्दों पर फोकस्ड।
मल्टीसेंसरी लर्निंग टेक्नीक: लर्निंग को मजबूत बनाने के लिए दृष्टि, ध्वनि और टच का उपयोग करना।
•व्यक्तिगत शिक्षा योजनाएँ (IEPs): शिक्षा में सहायता के लिए पर्सनल स्ट्रेटजी।
परिवार और इमोशनल सपोर्ट: माता-पिता, शिक्षकों और साथियों का सपोर्ट।

दरअसल, यदि डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति को स्कूल, घर और समाज में लोगों का सपोर्ट मिले, तो वह इस समस्या से आसानी से निकल सकता है।

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