Side Effects Of Cartoon Show: आजकल की डिजीटल दुनिया में बच्चे-बच्चे के पास मोबाइल है। कई बार तो मांएं खुद बच्चों को खाना खिलाने के लिए फोन का इस्तेमाल करती हैं और उन्हें कोई भी कार्टून शो दिखा देती हैं। हालांकि, कई कार्टून शोज बच्चों को शिक्षा भी देते हैं, लेकिन इससे बच्चों को कार्टून देखने के आदत भी बन जाती है, जो उनके लिए गलत साबित हो सकता है। दरअसल, इससे बच्चों का स्क्रीन टाइम ज्यादा हो जाता है, जो उनकी आंखों पर असर डाल सकता है। हालांकि, चिंता का विषय यह है कि ज्यादा टीवी या मोबाइल फोन देखने से बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
रिसर्च में भी ये साफ हुआ है कि ज्यादा कार्टून देखने से बच्चों में एंगर इश्यूज भी हो सकते हैं। दरअसल, 2011 में शोधकर्ताओं ने पाया था कि नौ मिनट तक तेजी से बदलने वाले ग्राफिक्स और सीन्स देखने से बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। इससे उनमें एंगर एश्यूज, गुस्से पर कंट्रोल न कर पाना, प्लानिंग और लोगों के साथ जुड़ना, किसी भी काम की शुरुआत न कर पाना और थोड़ा जिद्दी स्वभाव की समस्या हो सकती है।
इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि कार्टून शोज देखने से बच्चों पर किस तरह से बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं-

सोचने-समझने की शक्ति होती है कमजोर
बता दें कि जो बच्चे ज्यादा कार्टून देखते हैं, उनकी सोचने-समझने की शक्ति कमजोर हो सकती है। दरअसल, जब ज्यादा स्क्रीन टाइम होता है, तो इससे बच्चों को फोकस करने मुश्किल होती है और वे किसी भी काम पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। साथ ही उनके सोचने-समझने का दायरा भी सीमित हो जाता है, जिसकी वजह से वह बाहरी दुनिया के बारे में नहीं समझ पाते हैं
वास्तिक दुनिया से कनेक्ट न कर पाना
किसी भी कार्टून शो की अपनी एक कहानी होती है और कल्पना के अनुसार एक अलग दुनिया होती है। जब बच्चे अपने शुरुआती दिनों से ही कार्टून देखने लग जाते हैं, तो वे खुद को भी उसी दुनिया का हिस्सा मानने लग जाते हैं। ऐसे में वास्तविक दुनिया से जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते। ऐसे में जब वे बाहर जाते हैं, नए लोगों को देखते हैं, तो उनसे बचते नजर आते हैं। यह दिक्कत बड़े होने पर बच्चों में समस्या पैदा कर सकता है।
भाषा सीखने में दिक्कत
बच्चे जब सिर्फ टीवी और फोन की दुनिया में रहते हैं, तो बाहर के लोगों से वे बहुत कम कनेक्ट कर पाते हैं। ऐसे में लोगों से ज्यादा न मिलने की वजह से, ज्यादा बात न करने की वजह से बच्चों का भाषाई विकास नहीं हो पाता है, जो बहुत जरूरी होता है। इसलिए पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा ज्यादा कार्टून न देखें।

बच्चों में सोशल डेवलेपमेंट न हो पाना
बच्चों के सामाजिक और मानसिक विकास के लिए उनका लोगों से मिलना जरूरी होता है। जब तक बच्चा बाहर जाकर लोगों से नहीं मिलता है, तब तक उसका मानसिक और सामाजिक विकास नहीं हो पाता है। दरअसल, बच्चों के लिए मानवीय गुणों का सीखना बहुत जरूरी होता है और यह तभी हो पाता है, जब वह दूसरे और नए लोगों से मिलते हैं, लेकिन कार्टून देखने के लिए टीवी स्क्रीन या मोबाइल से चिपके रहने से बच्चे लोगों से मिल नहीं पाते, जिसकी वजह से वे मानवीय गुण नहीं सीख पाते।
शारीरिक विकास न हो पाना
कार्टून शोज देखने की वजह से न केवल बच्चों के दिमाग बल्कि शरीर पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दरअसल, लगातार स्क्रीन देखते रहने की वजह से बच्चे बाहर नहीं खेलने जा पाते हैं, जिसकी वजह से उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। इससे उनका शारीरिक विकास उचित तरीके से नहीं हो पाता है।
तो माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा कार्टून शोज का आदि न हो जाए। हालांकि, वे कुछ समय के लिए बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि बच्चे को इसकी लत न लग जाए।
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