लैंसेट की स्टडी ने भारत में टीकाकरण की खामियाँ की उजागर: Child Vaccine Coverage

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Child Vaccine Coverage: बच्चों को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनकी रोकथाम के लिए बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। वैसे तो भारत में यह अभियान तेजी के साथ चल रहा है, लेकिन ‘लैंसेट’ के एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत में टीकाकरण में कुछ खामियां हैं। दरअसल, भले ही भारत में लाखों बच्चों का टीकाकरण होता हो, लेकिन शहरों के छोटे क्षेत्रों में लोग अभी भी संघर्ष कर रहे हैं, जहां सभी बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाता है। इससे बच्चे खसरा और पोलियो जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, फ्लेम यूनिवर्सिटी और मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों द्वारा किए गए इस शोध में एक से तीन साल की उम्र के 87,000 से अधिक बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया गया, अध्ययन में यह समझने की कोशिश की गई कि टीकाकरण कवरेज में कहां कमी है, इसके लिए सबसे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (NFHS-5) के लेटेस्ट डेटा का उपयोग किया गया।

हालांकि, जो रिजल्ट सामने आया, वह परेशान करने वाला था। दरअसल, जिलों के अंदर के छोटे क्षेत्र टीकाकरण की दरों में काफी अंतर दिखाते हैं। यह हाल उन राज्यों के अंदर का है, जो कुल मिलाकर अच्छा कर रहे हैं। ऐसे में यह असमान वितरण भारत के टीकाकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा है।

अध्ययन का रिजल्ट

रिजल्ट में शोधकर्ताओं ने पाया कि टीकाकरण दरों में आधे ज्यादा अंतर जिलों या राज्यों के बजाय छोटे जगहों में होता है। इसका मतलब यह है कि जहाँ एक गाँव में टीकाकरण की दर अधिक हो सकती है, वहीं दूसरे गाँव में बहुत कम कवरेज हो सकता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों और उत्तर प्रदेश में एक साल के बच्चों को सबसे कम टीके लगाए गए। हालाँकि, अधिकांश राज्यों में कम टीकाकरण वाले क्षेत्रों की पहचान की गई, यहाँ तक कि उन क्षेत्रों में भी जहाँ हेल्थ सर्विस सिस्टम मज़बूत है। इससे पता चलता है कि कुछ समुदाय या क्षेत्रों तक टीकाकरण की या तो पहुंच नहीं है या फिर वहां लोग टीका नहीं लगवाते।

बता दें कि भारत में कवरेज में अंतर होने की वजह से कई क्षेत्रों में खसरा, डिप्थीरिया, पर्टुसिस और पोलियो जैसी बीमारियों का शिकार होने का जोखिम ज्यादा है। उदाहरण के लिए, जबकि आधिकारिक अनुमानों से पता चलता है कि 90% से अधिक बच्चों को पोलियो और खसरे के टीके मिले हैं, जबकि अध्ययन में पाया गया कि केवल कुछ राज्यों, जैसे ओडिशा और तमिलनाडु में ही टीकाकरण की दर इतनी अधिक है कि प्रकोप को रोका जा सके।

अध्ययन में असमानताओं के कारण

  • दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में टीके पहुंचाने में रसद संबंधी समस्याओं का सामना
  • कुछ समुदायों द्वारा टीका न लगवाना
  • कुछ क्षेत्रों में उचित बुनियादी ढांचे की कमी और कर्मचारियों की कमी

इस अंतर को खत्म करने के लिए सुझाव

अध्ययन के राइटर इस असमानता को खत्म करने के लिए एक अलग नजरिया रखने का सुझाव देते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे जिलों पर फोकस करने के बजाय, हेल्थ प्रोग्राम्स को कम कवरेज वाली जगहों पर ध्यान देना चाहिए। लेखकों ने लिखा कि ग्राउंड लेवल पर इस मुद्दे को देखते हुए व सभी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।

इसके अलावा, लेखकों ने सुझाव दिया कि “प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देने की क्षेत्रीय जिम्मेदारी के साथ भारत में जो हाल ही में ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ (स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र) बनाए गए हैं, उन्हें एक स्वाभाविक जगह दी जा सकती है, जिससे चुनौतियां कम हो सके।

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