पुणे में सामने आए गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के 22 संदिग्ध मामले: Guillain-Barré Syndrome

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Guillain-Barré Syndrome: ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) के बीच अब एक नई बीमारी खौफ बरपा रही है। हाल ही में पुणे से गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के कई केस सामने आए हैं। पुणे नगर निगम को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल और पूना अस्पताल की मेडिकल यूनिट में कम से कम 22 संदिग्ध जीबीएस के मामले सामने आए हैं।

पुणे में GBS के 22 मामले आए सामने

पीएमसी की हेल्पिंग चिकित्सा अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि नगर निगम इस स्थिति की निगरानी के लिए प्रभावित क्षेत्रों में एक टीम भेजेगा। उन्होंने कहा, “फिलहाल, हमने पीएमसी के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों से छह मरीजों के ब्लड के सैंपल इकट्ठे किए हैं और उन्हें आगे की जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेज दिया है।”

हालांकि, कई डॉक्टरों ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में वे सिंहगढ़ रोड और आसपास के इलाकों से दस्त और बुखार के लक्षणों के साथ-साथ अंगों में कमजोरी के साथ आने वाले रोगियों को देख रहे हैं। दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के कंसल्टेंट इंटेंसिविस्ट डॉ. समीर जोग ने कहा, “इन रोगियों में जीबीएस रोग पाया गया है।”

डॉ. जोग ने कहा कि अंगों में कमजोरी की शिकायत के बाद पिछले सप्ताह 16 ऐसे रोगियों (छह बाल चिकित्सा और दस वयस्कों) को अकेले उनके अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये मरीज धायरी, सिंहगढ़ रोड और किर्कटवाड़ी जैसे इलाकों से थे। उन्होंने कहा कि इनमें से आठ मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। इस बारे में पूना अस्पताल में कंसल्टिंग इंटेंसिविस्ट डॉ. अजीत ताम्बोलकर ने कहा कि उनके आईसीयू में ऐसे तीन मरीज हैं। उन्होंने कहा, “ये मरीज सिंहगढ़ रोड और मानिक बाग के हैं।”

GBS के संभावित कारण

डॉक्टरों को शक है कि यह बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकती है, जिसकी वजह से रोगियों में इम्यूनिटी प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि जीबीएस एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) जीबीएस के लिए सिद्ध प्रभावी उपचार है।

GBS के सामान्य लक्षण

इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जीबीएस मांसपेशियों की गति को कंट्रोल करने वाली तंत्रिकाओं के साथ-साथ दर्द, टेंपरेचर और टच सेंसिबिलिटी को प्रसारित करने वाली तंत्रिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, पैरों और/या हाथों में सेंसिटिविटी की हानि और निगलने या सांस लेने में समस्या हो सकती है। अधिकांश लोग जीबीएस के सबसे गंभीर मामलों से भी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, हालांकि कुछ लोगों को लंबे समय तक कमजोरी का अनुभव होता रहता है।

वैसे, यह बात तो साफ है कि जितने भी वायरल इंफेक्शन या बीमारियां होती हैं, वह सभी कमजोर इम्यूनिटी की वजह से होती हैं। ऐसे में यदि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं, तो काफी हद तक इस तरह की समस्या से बचा जा सकता है। बात चाहे HMPV की करें या फिर कोरोना की, ये भी वायरस भी कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। ऐसे में आप अपनी इम्यूनिटी पर ध्यान दें।

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए इन चीजों का करें सेवन

तुलसी की चाय का सेवन करें: तुलसी में एंटीवायरल गुण होते हैं, जिससे ये वायरल बीमारियों को दूर करने में कारगर होती है, साथ ही इम्यूनिटी को भी मजबूत करती है।
अदरक का रस: अदरक सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने में काफी कारगर माना जाता है। ऐसे में आप अदरक को गर्म पानी में पकाकर या चाय में डालकर पी सकते हैं।
गिलोय का रस: जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनके लिए गिलोय का काढ़ा काफी फायदेमंद होता है।

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