आज स्मार्टफ़ोन हम सभी की ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। चाहें अपनों से चैटिंग की बात हो या शॉपिंग, सर्चिंग और बैंक से संबंधित कोई भी काम हो बस एक क्लिक में मिनटों में पूरे हो जाते हैं। सही मायनों में यह आज की ज़रूरत है, जिसके बिना रहना मुश्किल है। लेकिन, यही स्मार्टफ़ोन हमारे रिश्तों पर असर डाल रहा है। जी हाँ, फबिंग जोकि डिजिटल वर्ल्ड में काफ़ी प्रचलित है, हमें अपनों से दूर कर रहा है। आपने अभी तक शायद ही इस शब्द को सुना होगा लेकिन यह अनजाने में ही आपकी रिलेशनशिप और मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
क्या है फबिंग
फबिंग यानि कि किसी व्यक्ति या कार्यक्रम को नजरअंदाज करते हुए अपने फोन पर ध्यान केंद्रित करना। फबिंग इन दिनों रिलेशनशिप को कमजोर बनाने और दरार पैदा करने का मुख्य कारण बन गया है। फबिंग की लत रिश्तों में दूरियों की वजह बन रही है।फ़ोन और स्नबिंग दो शब्दों से मिलकर बने फबिंग शब्द का पहली बार इस्तेमाल 2012 में ऑस्ट्रेलिया की एक एडवरटाइजिंग एजंसी ने किया था। इस शब्द को गढ़ने की वजह यही थी कि लोगों में स्मार्टफोन की वजह से अपनों को नजरअंदाज करने का फिनोमिना बढ़ने लगा था। इसी के साथ स्टॉप फबिंग कैंपेन भी शुरू किया गया। फबिंग के प्रभाव-

संवाद की कमी (Lack of communication)
रिश्तों को बनाए रखने के लिए संवाद यानी कम्यूनिकेशन महत्वपूर्ण है। यदि सामने वाले का ध्यान बात करते समय आपकी बातों की जगह फोन पर लगा रहता है तो इससे पता चलता है कि उसे आपकी बातों में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। वह सिर्फ़ अपने फ़ोन में ही ध्यान देता है। इससे बातचीत करने में बाधा होती है
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रिश्ते टूटने का बड़ा कारण (Impact on relationship)
हमेशा फोन पर लगे रहने से एक-दूसरे के प्रति शक की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे आप इग्नोर फील कर सकते हैं, जिसका प्रभाव आपके रिश्ते पर पड़ता है। कई बार इस कारण बड़े झगड़े ही हो जाते हैं और यहाँ तक रिश्ता टूट भी सकता है।
भावनात्मक रूप से बनाता है कमजोर (Emotional dependency)
जो लोग देर तक फोन में लगे रहने से खुद को बाकी दुनिया से कनेक्टेड समझते हैं, लेकिन जैसे ही थोड़ी देर के फोन से दूर हटते हैं, तब वो एक अजीब सा खालीपन महसूस करते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लोग अपनी मेंटल वेलबींग बनाए रखने के लिए फ़ोन का सहारा लेते हैं। जैसे ही फोन बंद करते हैं, वैसे ही दोबारा फोन देखने की चाहत शुरू होती है। कई बार फ़ोन नहीं मिलने से एंग्जाइटी होने लगती है। दरअसल, फोन हमारे ब्रेन के अंदर इस तरह का प्रभाव पैदा करता है जिससे एडिक्शन या डिपेंडेंसी होने लगती है। इस वजह से एंग्जाइटी, स्ट्रेस बढ़ता है।
शारीरिक स्वास्थ्य भी बिगाड़ता है (Affect on physical health)

स्मार्ट फ़ोन के लगातार इस्तेमाल से सिर्फ़ मानसिक स्वास्थ्य ही ख़राब नहीं हो रहा है बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर हो रहा है। ज्यादा समय तक फोन देखने से गार्डन में दर्द, सिर दर्द और आँखों में जलन जैसी समस्याएँ होने लगती है।
फबिंग से निपटने के तरीक़े (How to deal phubbing)
अगर आपको समय रहते इस बात का अंदाज़ा लग जाता है कि आप फबिंग का शिकार हो रहे हैं तो आप कुछ आसान से तरीक़े अपनाकर इससे छुटकारा पा सकते हैं। ये तरीक़े हैं
नोटिफिकेशन बंद कर दें (Stop notification)
हमारे फ़ोन में बार-बार फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और दूसरे नोटिफिकेशन आते रहते हैं, इस कारण हमारा ध्यान लोगों से बात करने के बीच में भी फ़ोन की तरफ़ चला जाता है और आप इन नोटिफिकेशन को पढ़ने या देखने लग जाते हैं। ऐसे में आपके साथ बात कर रहा व्यक्ति ख़ुद को अकेला महसूस करने लगता है। इसलिए जब भी किसी के साथ बात करें, कोशिश करें कि फ़ोन के नोटिफिकेशन बंद रहें।
नो फोन जोन (No phone zone)

घर के सभी लोग मिलकर तय करें कि कम से कम एक समय ऐसा रखेंगे जिसमें कोई भी फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करेगा। यह आपका लंच, टाइम, डिनर टाइम, स्नैक टाइम या और कोई ख़ास समय हो स्केट है। इससे सभी एक दूसरे की बातों को ध्यान से सुनेंगे और आपसी बाण्डिंग मज़बूत होगी।
लिमिट तय करें (Set limit)
फ़ोन के इस्तेमाल को बंद तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसके एडिक्शन से बचने के लिए इसकी एक लिमिंट तय करें। जिसमें यह तय करें कि इतनी देर से ज्यादा फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
रुचि का काम करें (Follow your hobby)
फ़ोन से दूरी बनाने के लिए कोशिश करें की कोई ऐसा काम शुरू करें जिसमें आपकी रुचि हो। यह कुकिंग, सिंगिंग, डांसिंग, जिमिंग कुछ भी हो सकता है।

बच्चों को क्वालिटी टाइम दें (Spend quality time with kids)

फ़ोन की जगह कोशिश करें कि बच्चों को आप समय दें। उनके साथ कोई खेल खेलें, उन्हें कहानी सुनाएँ और उनकी बातों को ध्यान से सुनें। इससे बच्चे भी फ़ोन का ज्यादा उपयोग नहीं करेंगे।