Is Your Job Disturbing Your Sleep: आजकल भागदौड़ भरी लाइफ की वजह से नींद का प्रभावित होना बहुत आम हो गया है। दरअसल, काम खत्म करने की डेडलाइन और हर दिन खुद को साबित करने की चुनौती आपकी रात की नींद उड़ा सकती है, जो आपकी सेहत के लिहाज से सही नहीं है। हालांकि, नींद प्रभावित होने कई और कारण भी हो सकते हैं। हाल ही में हुई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि आपका जॉब आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ फ़्लोरिडा के क्लेयर ई. स्मिथ के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, लोगों की तकनीक पर बढ़ती निर्भरता और एक नॉन-एक्टिव वर्क कल्चर हमारे नींद के पैटर्न को बिगाड़ सकती है।
जानें क्या कहती है स्टडी
जर्नल ऑफ़ ऑक्यूपेशनल हेल्थ साइकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में 1,300 फुलटाइम कर्मचारियों को ट्रैक किया गया, जिन्होंने औसतन प्रति सप्ताह कम से कम 46 घंटे काम किया। प्रतिभागियों और उनकी लाइफस्टाइल को 10 साल के समय के लिए ट्रैक किया गया ताकि यह समझा जा सके कि आधुनिक जॉब कल्चर नींद के पैटर्न को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
इस अध्ययन में नींद के पैटर्न के छह पहलुओं का अध्ययन किया गया, जिनमें लोग कितनी नियमित रूप से सोते हैं, उन्हें सोने में कितना समय लगता है, क्या उन्हें अनिद्रा के लक्षण दिखाई देते हैं, दिन में वे कितने थके हुए महसूस करते हैं, वे कितनी बार झपकी लेते हैं और उनकी कुल नींद का समय। अध्ययन से पता चलता है कि अगर आप 8 घंटे भी सोते हैं, तो भी यह आपके दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को 26% तक बढ़ा सकता है

शोधकर्ताओं ने पाया कि गतिहीन लाइफस्टाइल नींद के रूटीन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। अध्ययन में शामिल हुए लोगों में जो नॉन एक्टिव जॉब करते हैं, उनमें अनिद्रा के लक्षणों में 37% की वृद्धि देखी गई। गैर-पारंपरिक वर्क शेड्यूल वाले लोगों में कैच-अप स्लीपर (बहुत जल्दी सोने और कम नींद लेने) बनने की प्रवृत्ति 66% अधिक देखी गई, जो झपकी या वीकेंड की रिकवरी नींद पर निर्भर करते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ फ़्लोरिडा की मनोवैज्ञानिक और प्रमुख शोधकर्ता क्लेयर स्मिथ ने एक बयान में कहा, “जिस तरह से हम काम को डिज़ाइन कर रहे हैं, वह हेल्दी नींद के लिए गंभीर व दीर्घकालिक खतरे पैदा करता है। हेल्दी नींद में सिर्फ़ आठ घंटे की नींद लेना ही शामिल नहीं है। इसमें आसानी से सो जाना, रात भर सोना और एक नियमित नींद का शेड्यूल होना भी शामिल है। कंपनियों को नींद की कमी से कर्मचारियों में होने वाले जोखिमों का पता होना चाहिए।”
कंप्यूटर एक्सपोज़र और नींद के पैटर्न
हालांकि, अध्ययन में दिन के समय कंप्यूटर एक्सपोज़र के नींद के पैटर्न पर पॉजिटिव प्रभाव देखा गया, जो इस धारणा के अपोजिट है कि स्क्रीन टाइम नींद को प्रभावित कर सकता है। इस स्टडी का शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि दिन में कंप्यूटर स्क्रीन के सामने रहने से शरीर की नेचुरल सर्कडियन लय बाधित नहीं होती है।

वैसे, इसमें कोई शक नहीं कि हेल्दी रहने के लिए अच्छी और पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी होता है। यदि आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो इससे मांसपेशियों को आराम नहीं मिल पाता है, साथ ही सोकर उठने के बाद भी सुबह को आप अच्छा और फ्रेश फील नहीं करते हैं। बल्कि दिनभर आलस्य और सुस्ती की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में सुनिश्चित करें कि आप हर रात 8 घंटे से ज्यादा की नींद लें और अच्छी नींद लें। इसके लिए आप म्यूजिक थेरेपी, आई मास्क और बुक रीडिंग जैसे उपायों का सहारा ले सकते हैं।
तो, आप भी ध्यान दें कि कहीं आपकी जॉब की वजह से आपका नींद का पैटर्न प्रभावित तो नहीं हो रहा है।
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