Kids Sleep Pattern: बच्चों का पालन-पोषण कभी भी आसान नहीं होता है। दरअसल, बच्चे थोड़े जिद्दी भी हो सकते हैं। ऐसे में उनकी हर इच्छा को पूरा कर पाना संभव नहीं हो पाता है। तो बिना उन्हें हर्ट किए उनकी बेकार की मांगों को कैसे मना करना है, यह भी बड़ा टास्क होता है। इसके अलावा, आजकल बच्चों को मोबाइल फोन की लत गई है कि इसकी वजह से रात को सोने में भी लेट हो जाते हैं। हालांकि, एक लेटेस्ट स्टडी कहती है कि बच्चों का बेडटाइम सिर्फ एक अनुशासन ही नहीं है, बल्कि इसके अन्य फायदे भी होते हैं।
बच्चों के व्यवहार पर नींद का होता है अच्छा असर
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एडवोआ “अबी” दादजी और ऑर्फ़्यू बक्सटन द्वारा किए गए और जर्नल ऑफ़ डेवलपमेंटल एंड बिहेवियरल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हालिया अध्ययन में कहा गया है कि नियमित सोने का रूटीन बच्चों को मजबूत इमोशनल कंट्रोल और बेहतर बिहेवियर पैटर्न रखने में मदद कर सकती है, खासकर स्ट्रेसफुल और मुश्किल स्थितियों में।
दरअसल, बच्चों में सेल्फ-रेग्युलेशन एक जरूरी गुण है, जो फीलिंग्स और बिहेवियर को मैनेज करने में मदद कर सकता है। ऐसे में यह बच्चों को अनुशासन में रहने के साथ-साथ एक बेहतर नागरिक भी बना सकता है। शोधकर्ताओं ने हेल्दी स्लीप पैटर्न और आत्म-नियमन के बीच संबंध की खोज की है।

क्या कहते हैं स्टडी चीफ
स्टडी चीफ ने इस बारे में कहा, “मेरी रिसर्च का पहला फोकस नींद पर है, जिसमें मेरी रुचि है कि माता-पिता किस तरह से नींद को प्रभावित करते हैं और यह बच्चे के विकास को कैसे प्रभावित करता है। मैं इस बात से भी रोमांचित हूँ कि पॉजिटिव पैरेंट्स बच्चों को बेहतर भावनात्मक, व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक रिजल्ट के लिए तैयार करते हैं। बच्चों को यदि कम उम्र से ही अच्छी आदतें सिखाई जाएं, तो इससे उनकी लाइफ में पॉजिटिव बदलाव आ सकते हैं। एज के अनुसार होने वाली ये स्टडी हमें यह सीखने में मदद करता है कि अच्छी नींद की आदतों को कैसे लागू किया जाए, जो बड़े होने पर भी बनी रहे।”
यह स्टडी 143 बच्चों पर की गई। अध्ययन में पहली बार माँ बनना, टाइम पर प्रसव होना और इंग्लिश में परफेक्ट होना जैसे कुछ मानदंड सुनिश्चित किए गए थे। सभी बच्चों को उनकी इच्छा के अनुसार दो ग्रुप्स में बांटा गया था। एक सप्ताह तक बच्चों की नींद के पैटर्न को ट्रैक किया गया, जिसमें नींद की शुरुआत, बीच में और लास्ट का समय साथ ही नींद का समय नोटिस किया गया। फिर सभी बच्चों को ऐसे काम सौंपे गए, जो विशेष रूप से निराशा पैदा करने और सोशल एंटी-सोशल बिहेवियर का निरीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।

लगातार सोने का समय और बिहेवियर पैटर्न
शोधकर्ताओं ने रिजल्ट में देखा कि नींद का बच्चों के व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह देखा गया कि जो बच्चे इमोशनली मजबूत थे, स्पेशली खराब स्थितियों में, उन पर नींद में स्थिरता का अच्छा प्रभाव पड़ा।
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