अकेलेपन से 31% बढ़ जाता है डिमेंशिया होने का जोखिम: Loneliness triggers dementia

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Loneliness triggers dementia: आजकल की बिजी लाइफ में लोगों के पास खुद के लिए भी वक्त नहीं है। ऐसे में दूसरों के लिए समय निकालना और उनसे बात करना काफी मुश्किल होता है। यह चीज कई बार व्यक्ति को अकेला भी कर देती है और अकेलेपन की भावना इंसान को अंदर परेशान कर देती है। अकेलापन सिर्फ़ किसी के जीवन में लोगों की अनुपस्थिति नहीं है। भावनात्मक रूप से यह बहुत भारी होता है। व्यक्ति के अंदर एक खालीपन होता है, जिसे सहना मुश्किल होता है। खालीपन दुखद होता है और ऐसे में किसी साथी की निरंतर चाहत होती है। यह भावना दिमागी स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

नेचर मेंटल हेल्थ में प्रकाशित इस विषय पर अब तक किए गए सबसे बड़े अध्ययन के अनुसार, अकेलापन अब डिमेंशिया विकसित होने के 31% अधिक जोखिम को बढ़ा देता है। डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जिससे सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता कम हो जाती है। यह अकेलेपन की भावना का परिणाम भी हो सकता है।

अकेलेपन और मनोभ्रंश के बीच संबंध

लेटेस्ट स्टडी के शोधकर्ताओं ने अकेलेपन और मनोभ्रंश के संबंध की जांच की। यह अध्ययन दुनिया भर के 608,561 व्यक्तियों के डेटा के आधार पर किया गया है। इस स्टडी का निष्कर्ष चौंकाने वाला है, क्योंकि जो लोग अकेलापन महसूस करने की रिपोर्ट करते हैं, उनमें मनोभ्रंश विकसित होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में 31% अधिक होता है जो अकेलेपन का अनुभव नहीं करते हैं।

अकेलापन समाज से अलग-थलग होने या डिप्रेशन की वजह से भी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी शारीरिक स्थितियों पर भी विचार किया, लेकिन उन्होंने पाया कि अकेलेपन और मनोभ्रंश का गहरा रिश्ता है।

शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में यह भी पाया कि अकेलेपन के कारण एक अलग प्रकार का डिमेंशिया होता है, जैसे- अल्जाइमर रोग और वास्क्यूलर डिमेंशिया। अध्ययन ने बताया कि अकेलापन भी एक प्रकार का मौन तनाव है, जो दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। डिमेंशिया के अलावा, अकेलेपन कई दिमागी परेशानियों के होने के संभावना 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ये समस्याएं अक्सर डिमेंशिया से पहले होती हैं, जो दर्शाता है कि अकेलापन सोचने की शक्ति को पहले प्रभावित करता है।

अकेलापन मस्तिष्क को पहुंचा सकता है नुकसान

अकेलापन, तनाव और सूजन से जुड़ा हुआ है, जो समय के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। अकेले लोग कभी-कभी लंबे समय तक डी-एक्टीवेट रहते हैं, जैसे- व्यायाम न करना या खराब खाना, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है।

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