Physcial Inactivity May Lead To Anxiety In kids: बच्चे हो या बड़े, आजकल सभी अपना ज्यादा वक्त फोन पर बिताते हैं।बच्चों का बाहर खेलना काफी कम हो गया है जो उनके शारीरिक विकास के लिहाज से सही नहीं है। दरअसल, जब तक वे बाहर खुलकर नहीं खेलते हैं, तब तक उनका शारीरिक और मानसिक विकास अच्छी तरह से नहीं हो पाता है। कई बार यह बिहेव्यरल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है।
जर्नल ऑफ़ ऑटिज़्म एंड डेवलपमेंटल डिसऑर्डर में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस बारे में एक बहुत ही चिंताजनक मुद्दे पर प्रकाश डाला कि जो छोटे बच्चे फिजिकली एक्टिव नहीं होते हैं, उनमें एंजायटी और डिप्रेशन का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है। यह स्पेशली ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) और अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) वाले बच्चों में साफ तौर पर होता है।
बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी का मानसिक हेल्थ से संबंध
अध्ययन के निष्कर्षों से यह साफ हुआ है कि जो बच्चे फिजिकली एक्टिव रहते हैं, उनमें एंजॉयटी या डिप्रेशन का लेवल कम होता है। ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों में, जो पूरी तरह से निष्क्रिय थे, उनमें से 69% बच्चों में बहुत चिंता देखी गई, जबकि 55% में वे थे जो सप्ताह में कम से कम एक दिन फिजिकल एक्टिविटी में लगे थे। इसके अलावा, ऑटिज्म से पीड़ित शारीरिक रूप से निष्क्रिय बच्चों में से 39% ने डिप्रेशन का अनुभव किया, जबकि सप्ताह में 1-3 दिन एक्टिव रहने वाले 29% और सप्ताह में 4-7 दिन एक्टिव रहने वाले 23% ने डिप्रेशन का अनुभव किया।

यह प्रवृत्ति अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) से पीड़ित बच्चों में भी देखी गई। ADHD से पीड़ित शारीरिक रूप से निष्क्रिय बच्चों में से 42% ने एंजॉयटी महसूस होने की सूचना दी, जबकि सप्ताह में 1-3 दिन सक्रिय रहने वाले 40% और सप्ताह में 4-7 दिन एक्टिव रहने वाले 32% ने चिंताग्रस्त होने की सूचना दी। डिप्रेशन की दर में भी इसी तरह का पैटर्न देखा गया।
इसके अलावा, जो बच्चे स्वस्थ थे उनमें भी जो फिजिकली एक्टिव नहीं थे, उनमें से 16% बच्चों ने एंजॉयटी महसूस की, जबकि सप्ताह में 4-7 दिन एक्टिव रहने वाले बच्चों में 7% बच्चों को यह समस्या महसूस हुई। इन निष्कर्षों में यह भी सुझाव दिया गया कि बच्चों को यदि शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी रखना है, तो उन्हें फिजिकली एक्टिव रहना ही चाहिए।
डेवलपमेंट्ल डिसऑर्डर के बारे में अधिक जानकारी
इसके अलावा, कई विकासात्मक डिसऑर्डर हैं, जैसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) और अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)। विकासात्मक डिसऑर्डर शारीरिक, सीखने, भाषा या व्यवहार में समस्या पैदा कर सकता है।

ये स्थितियाँ दुनिया भर में अनगिनत बच्चों को प्रभावित करती हैं और इस बात पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं कि वे कैसे सीखते हैं और दूसरों के साथ कैसे बात करते हैं। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) बच्चों के दूसरों के साथ बातचीत करने, सीखने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है, जबकि ADHD बच्चों को बेचैन बनाता है और फोकस करने में परेशानी पैदा करता है।
कैसे रहें फिजिकली एक्टिव?
को यदि फिजिकली एक्टिव रखना है, तो इसके कई तरीके हो सकते हैं। सबसे पहले आप उसे बाहर घुमानेले जाएं। किसी पार्क में उसे आउटडोर गेम्स खिलाएं, जिससे बच्चे की मांसपेशियां भी एक्टिव हो और शारीरिक विकास बेहतर तरीके से हो पाए। इसके अलावा, आप अपने बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, क्योंकि दूसरे बच्चों के साथ खेलने पर बच्चे का मन खुश होता है और नए दोस्त मिलने पर अगले दिन फिर से बच्चे का खेलने को मन करता है, जो उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास और व्यवहार के लिए भी बेहतर होता है। बच्चों को स्विमिंग, क्रिकेट, डांस, बैडमिंटन जैसी फिजिकल एक्टिविटीज़ में सकते हैं। इन सभी में बच्चों को खूब मज़ा भी आता है।