Tips to Handle Teenagers: आजकल के बच्चे बहुत स्मार्ट हो गए हैं, जो हर चीज के बारे में काफी कुछ जानने लगे हैं। कारण है बहुत कम उम्र में मोबाइल का हाथ में आना। आपने अक्सर देखा होगा कि नई पीढ़ी के बच्चे खाना भी मोबाइल देखते हुए खाते हैं। ऐसे में उन्हें नई-नई चीजों के बारे में पहले से काफी कुछ पता है। अब बच्चों को झूठ बोलकर, कोई भी कहानी सुनाकर उन्हें बहलाना-फुसलाना इतना आसान नहीं रहा। यही वजह है कि कई बार बच्चों को समझाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चे काफी जिद्दी भी हो सकते हैं। खासकर टीनएज बच्चों यानी 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों को हैंडल करना काफी मुश्किल हो सकता है। इस उम्र में अगर बच्चों को सही दिशा में न ले जाया जाए, या उनसे प्यार से बात न की जाए, तो वे मनमौजी और उद्दंड हो सकते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिनके जरिए आप अपने टीनएज बच्चों को शांति से हर बात समझा सकते हैं, साथ ही उन्हें जिद्दी होने व गलत रास्तों पर जाने से रोक सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं-
बच्चे को दें अपना सपोर्ट

अगर बच्चों के क्लोज रहना है, तो उन्हें सपोर्ट करना जरूरी है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे आपको हर बात बताएं, अपनी हर परेशानी बताएं, तो उसके लिए उन्हें ये जताना जरूरी है कि आप उन्हें सपोर्ट करते हैं। उन्हें ये एहसास दिलाना जरूरी है कि आप उनके बुरे वक्त और मुश्किल परिस्थितियों में भी उनके साथ हैं। तभी बच्चे आपके साथ खुलकर बात कर पाएंगे।
बच्चों की बात ध्यान से सुनें

टीनएज में बच्चों के मन में खूब जिज्ञासा होती है कि वे नई चीजों के बारे में जानें। करियर को लेकर भी उनकी अपनी पसंद होती है। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों की मन की बात को सुनना और समझना चाहिए। साथ ही वे जो कुछ चुनना चाहते हैं और अगर उसमें कुछ गलत नहीं है, तो उन्हें हौंसला दें और उनके फैसलों में उनका साथ दें। इससे आपकी अपने बच्चों के साथ बातचीत अच्छी होगी और आप अपने बच्चों के और करीब आ पाएंगे।
बच्चों को गलती स्वीकारना सिखाएं
टीनएज में बच्चे अक्सर गलतियां कर देते हैं। ऐसे में उन्हें डांटने के बजाय उन्हें समझाएं कि उन्होंने क्या गलत किया है। इसके साथ ही आप बच्चों को ये भी समझा सकते हैं कि उन्होंने जो गलती की है, उसकी उन्हें क्या सजा मिल सकती है। ऐसा समझाने से वे समझेंगे कि उनकी गलती का क्या परिणाम हो सकता है, तो अगली बार वह गलती करने से बचेंगे। हालांकि, माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को उनकी गलती की सजा न दें और उन्हें माफ कर दें।
पेरेंट्स बनकर ही बच्चों को समझाएं
आज की जनरेशन में यह सलाह दी जाती है कि बच्चों को दोस्त बनकर समझाना चाहिए, पर यह पूरी तरह सही नहीं है। बच्चों के साथ दोस्त जैसा व्यवहार असरदार नहीं होता है, क्योंकि ऐसे में बच्चे उलटा जवाब देना सीख जाते हैं। साथ ही फिर माता-पिता की बात और डांट का भी उनपर कोई असर नहीं होता है। ऐसे में पैरेंट्स बनकर ही बच्चों को सही और गलत बातों का ज्ञान दें, ताकि वह खुद से अच्छी और बुरी को समझ पाएं।
अनुशासन सिखाना
ऐसा आपने अक्सर सुना होगा कि बच्चा गीली मिट्टी की तरह होता है, इसलिए कम उम्र से ही उसे अच्छी बातें सिखानी शुरू कर देनी चाहिए। जब आप बच्चे को बचपन से कुछ चीजें सिखाते हैं, तो बड़े होने के बाद भी उसके जेहन में वो बातें छपी रह जाती हैं। इसलिए छोटी उम्र में बच्चों को अनुशासन सिखाना जरूरी है। ताकि बड़े होकर भी वह अनुशासन में रहे और माता-पिता की बात मानें।
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